Tuesday, December 15, 2009
इम्तहानो के दिन
अरे जयादा गंभीर न हो हम ज़िन्दगी के इम्तहान की बात नहीं कर रहे है हम बात कर रहे है बस कॉलेज के इम्तहान की .वैसे तो इस वक़्त हमे पढना चाहिए क्युकी इम्तहान हमारे चल रहे है पर जब किताबे दिल मै बेचिनी ला दे वही किताबी बाते मन और दिमाग को परेशां कर दे तो बस लगता है बहुत हो गया बस अब पेपर हाथ मै आ जाये और हम उसे करके ख़त्म करें पर काश यही नजरिया ज़िन्दगी के इम्तहानों के लिए भी पैदा हो जाये की बस अब जो भी होना है वो हो जाये और हम उससे बहार निकल आये पर हम क्यों ज़िन्दगी मै इम्तहानों को टालते रहते है ..उनका सामना करने से घबराते है , जबकि पता है अगर आज हम इसे दूर भागयेगे तो कल ये ज़रूर हमारे सामने आएगा पर फिर भी जितना हो सके हम उससे बस बचना चाहते है। ज़िन्दगी हर कदम पर हमे गिरना , खड़े होना , चलना, झूझना सिखाती है फिर इसी ज़िन्दगी से क्यों इतनी शिकायते है हमें ? हम क्यों नहीं मुश्किलों को बस इसी तरह से लेते की ये भी एक समय के लिए है बस पूरी हिम्मत से हम इनका सामना कर तो बाद मै मिलने वाला परिणाम ज़रूर अच्छा होगा। हमेशा सब कुछ अपने आप ही अच्छा होने की चाह ही हमे इन इम्तहानों से डरा देती है ।
बरहाल हमारे पेपर तो बहुत जल्दी ही ख़त्म हो जायेगें और अगर हम यू ही ब्लॉग लिखते रहे तो फिर बाद मै ' रिजल्ट क्यों ख़राब आता है ' इस पर भी एक ब्लॉग लिखते नज़र आयेगे तो हम जा रहे है अपने इम्तहानो के बेहतर रिजल्ट के लिए तयारी करने और हां अगर आपकी ज़िन्दगी मै भी कोई इम्तहान चल रहा है तो बस अपनी पूरी हिम्मत से इसका सामना करिए इसे टालिए नहीं बल्कि जल्दी से जल्दी इसे ख़तम कर दीजिये यकीन मानिए ये बस एक निचित समय के लिए है और अगर आपकी तयारी ज़ोरदार होगी तो रिजल्ट ज़रूर आपके हक मै होगा।
आशा है आप सभी की शुभकामनाये हमारे साथ है और ज़िन्दगी के हर इम्तहान के लिए आप सभी को हमारी ढेरो शुभकामनाये ।
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