Wednesday, July 18, 2012

Tuesday, December 20, 2011

अदम गोंडवी .... गवार देहाती शायर का बेबाक निर्भीक अंदाज़।

हिन्दू या मुस्लिम के अहसासात को मत छेड़िए
अपनी कुर्सी के लिए जज़्बात को मत छेड़िए
हममें कोई हूण, कोई शक, कोई मंगोल है
दफ़्न है जो बात, अब उस बात को मत छेड़िए
ग़लतियाँ बाबर की थीं, जुम्मन का घर फिर क्यों जले
ऐसे नाज़ुक़ वक़्त में हालात को मत छेड़िए
हैं कहाँ हिटलर, हलाकू, ज़ार या चंगेज़ ख़ां
मिट गए सब, क़ौम की औक़ात को मत छेड़िए
छेड़िए इक जंग, मिल-जुल कर ग़रीबी के ख़िलाफ़
दोस्त! मेरे मजहबी नग़्मात को मत छेड़िए

Wednesday, September 14, 2011

मोदी का उपवास ...क्या पाप धुल जायेगे ...
सियासत से अदब कि दोस्ती बेमेल लगती है
कभी देखा है पत्थरो पे भी कोई बेल लगती है
कोई भी अंदरूनी गन्दगी बाहर नहीं होती
हमे तो अब अदालत कि भी किडनी फेल लगती है

Saturday, August 27, 2011

लोकतंत्र की जीत का जश्न है ..खुशियाँ मनाइए


हमे आज़ाद भारत का युवा होने का आज गर्व हैं ..पहली बार देखी हमने लोकतंत्र में लोगो कि ताकत ..,सिर्फ राजनैतिक पार्टी के झंडो तले ही रैली नहीं निकलती, आन्दोलन ज़मीन पर जब उतरता है, तिरंगा कैसे ताकत का चिन्ह बन कर उभरता है, जब वन्दे मातरम के नारे सड्को पर दिन भर चिल्लाये जाते है तो तो दिल में कैसे तरंगे उठती है..बिना हिंसा के कैसे सरकार झुकती है, संसद क्यों संप्रभु है क्युकी वो जनता की है ...इसके लिए अन्ना जी का धन्यवाद..

Saturday, August 20, 2011

बाँध ले कफ़न हर कोई और तैयार हो जाये हम दे रहे है पैगाम वो खबरदार हो जाये..

बाँध ले कफ़न हर कोई और तैयार हो जाये
हम दे रहे है पैगाम वो खबरदार हो जाये
ज़ुल्म सहते सहते बूढी हो गई कितनी नसल
तय किया है जो हो फैसला इस बार हो जाये
एक आंधी ने जगा दी नई सुबह कि रौशनी
जला देंगे इतने दिए ख़त्म अन्धकार हो जाये
जो समझकर खुद को बठे है खुदा इस मुल्क का
अब दिखायेगे ऐसी हकीकत वो शर्मसार हो जाये
आज हम कर देंगे इतना तेज़ इस आवाज़ को
बहरी हमारी हुकूमत सुनने को तैयार हो जाये

Wednesday, August 17, 2011

कुछ कविताये हमेशा प्रासंगिक होती है..नागार्जुन बाबा की कलम बोल रही है

मेहनत की लूट सबसे खतरनाक नहीं होती ,
पुलिस की मार सबसे खतरनाक नहीं होती ,
गद्दारी , लोभ की मुट्ठी सबसे खतरनाक नहीं होती .
बैठे बिठाये पकडे जाना बुरा तो है ,
सहमी सी चुप मै जकड़े जाना बुरा तो है ,
पर सबसे खतरनाक नहीं होती .
सबसे खतरनाक होता है मुर्दा शांति से भर जाना ,
न होना तड़प का , सब कुछ सहन कर जाना ,
घर से निकलना काम पर , और काम से लौटकर घर आना ,
सबसे खतरनाक होता है ,
हमारे सपनो का मर जाना .

Sunday, August 14, 2011

आजादी की तहे दिल से मुबारकबाद ....इकबाल कि कलम से

लब पे आती है दुआ बनके तमन्ना मेरी

जिंदगी शम्मा की सूरत हो खुदाया मेरी

हो मेरे दम से यूं ही मेरे वतन की जीनत

जिस तरह फूल से होती है चमन की जीनत

जिंदगी हो मेरी परवाने की सूरत या रब

इल्म की शम्मा से हो मुझको मोहब्बत या रब

हो मेरा काम ग़रीबों की हिमायत करना

दर्दमंदों से ज़ईफों से मोहब्बत कराना

मेरे अल्लाह बुराई से बचाना मुझको

नेक जो राह हो उस राह पे चलाना मुझको