Monday, February 15, 2010

अब तो चंद नोट मे ईमान बदल जाते है

सर्द रातों मे जो फलक ओढ़ के सो जाते है
ये वही लोग है जो आलिशान महल बनाते है
अमीरे शहर ने क्या उससे भी कर लिया सौदा
अब उसके मौसम भी बस ग़रीबो पे कहर ढाते है
कमेतीयाँ जिरह अदालते यू तो सब ठीक है मगर
क्या कानून से भी कभी मसले हल हो पाते है
असलियत भी दस्तावेजों मे दब गई अब तो
वरना कागजों पे तो सब काम ही हो जाते है
वो और लोग थे जो मर गए उसूलो पे
अब तो चंद नोट मे ईमान बदल जाते है

Monday, January 18, 2010

बासु... जाते जाते दिखा गए एक और ज्योति

ज्योति बासु चले गए पर जाते जाते अपना शारीर मेडिकल स्टुडेंट्स के शोध कार्यो हेतु दान कर उन्होंने समाज को एक नई ज्योति दिखाई कि हमारा बेजान शारीर मिट्टी में मिलने के बजाय दूसरो की बेहतर ज़िन्दगी के लिए काम आ सकता है। कामरेड बासु अपने उन सभी साथियो के लिए भी प्रेरणा स्त्रोत है जो कामरेड होने का मतलब भी ठीक नहीं जान सके है । सच्चा कामरेड किस तरह अपनी हड्डियों को भी दुसरो के हित मे समर्पित कर सकता है , इसकी मिसाल है ज्योति बाबु। उनका जाना न सिर्फ वेस्ट बंगाल बल्कि पुरे देश के लिए घहरा आघात है , डीलरों के एस देश मे अब लीडरों का आकाल पड़ गया है , ऐसे समय ज्योति दा का जाना एक बड़ा शुन्य पैदा करता है। अपने जीवन को देश के लिए समर्पित करने वाले सच्चे कामरेड को मेरा लाल सलाम।

Wednesday, January 13, 2010

पर जो बीत गया है वो गुजरता ही नहीं


आज भी मुड के जब मै पीछे देखती हूँ कभी
तुम्हारे साथ ही गुजरे है वो पल जैसे अभी
जहाँ पे ज़िन्दगी नया रंग ले के आई है
अपने दामन में खुशियाँ समेट लाइ है
मैं जी रही हूँ हंस रही हूँ देखती हूँ तुम्हे
किसी भी ग़म ने जैसे कभी देखा न मुझे
ये है शाम ये जो दिन और ये जो रातें है
जहाँ है हम तुम और सिर्फ अपनी बातें है
कोई भी फिक्र नहीं न कोई परवाह हमे
ज़िन्दगी जैसे नई मिल गई तुम्हारे साथ हमे
पर वो ज़िन्दगी अब साथ मेरा छोड़ गई
बस ये याद और वो बात यहाँ छोड़ गई
ये सच है वो दिन पीछे रह गए है कहीं
पर जो बीत गया है वो गुजरता ही नहीं

Monday, January 11, 2010

कोई हंसती थी अक्सर तुम्हे देखकर




भूल जायेगे सब हम तुम्हे देखकर
तुम भी रह न सकोगे बिन हमे देखकर
हमने चाहा बहुत अब भुला दे तुम्हे
सो भी पाए कभी न तुम्हे भूलकर
अब तो कोई भी चेहरा न अच्छा लगे
क्या हुआ है हमे ये तुम्हे देखकर
जिन राहो पे हम तुम चले थे कभी
राहें पूछे कहाँ है तेरा हमसफ़र
लोग कहते है क्या हो गया है तुम्हे
उदास चेहरे मे तन्हा हमे देखकर
हममे कुछ बातहै तुमको अच्छी लगी
वरना लौटे हो तुम क्यों कसम तोड़कर
ये यकीं है की रो भी सकोगे न तुम
किसी गैर का होता हमे देखकर
हम रहे न रहे याद रखना सनम
कोई हंसती थी अक्सर तुम्हे देखकर

तुमने कैसे सब कुछ भूला दिया है


तेरे ग़म ने जीना सिखा दिया है
हमे अश्क पीना सिखा दिया है
तेरे साथ खुशियाँ बरस बरस रही थी
अब उन यादो ने हमको रूला दिया है
शक्ल उसकी है मगर वो नहीं है अब
तुमने यार मेरा गुमा दिया है
जिस हंसी पे तुम थे निसार हरदम
तुमने उसे ही हमसे जुदा किया है
अब तो बस तुम यहीं बता दो
तुमने कैसे सब कुछ भूला दिया है