Wednesday, March 23, 2011

आज velentine डे नहीं पर कुछ है ....

हवा में मह्केकी मेरे ख्याल की खुशबू
ये मुश्ते खात है फानी रहे रहे न रहे ...
ये पंक्तियाँ जिसने लिखी वो २३ साल का नौजवान लड़का अपनी आँखों में आज़ाद , शोषण से मुक्त और सफलता की ओअर बढ़ते हुए हिन्दुस्तान का सपना लिए मौत की दहलीज़ पर खड़ा था, उसने शायद कभी choclate डे, फ्रेंशिप डे , velentine डे और किस डे नहीं मनाया पर उसने अपनी ही मौत का जश्न ज़रूर मनाया था, उसने और उसके साथ शहीद होने वाले उसके साथियों ने एक रास्ता तैयार किया था कल के हिन्दुस्तान की प्रगति और आजादी का. आज हम modern हो गए है पर हमने आज भी उतनी किताबें तो नहीं पढ़ी होगी जो उसने २३ बरस की उम्र में चाट ली थी . हम ग्लोबल वर्ल्ड में रहते है बहुत सारे डे मनाते है पर आज भी एक दिन है .२३ मार्च १९३१ को भगत सिंह राजगुरु और सुखदेव ने फ़ासी का फंदा गले में दाल लिया ताकि कल का हिन्दुस्तान ग़ुलामी और शोषण के फंदे से आज़ाद हो जाए.

हम आज व्यस्त है , सिर्फ खुद को सफल करने की एक दौड़ में भाग रहे है परबहुत सारे दिनों को मनाते मनाते कार्ड्स और टेडी गिफ्ट करते हुए हम आज का दिन भूल गए है पर अगर भूल से आपकी नज़र इस पोस्ट पर पड़े तो एक बार उन शहीदों को याद ज़रूर करियेगा क्युकी आज हिन्दुस्तान अपने शहीदों की याद में शहादत दिवस मनाता है शायद किसी तोहफे के तो नहीं पर हमारे चाँद पलों पर वो अपना हक रखते है जहाँ हम दिनरात अपने नेताओ को कोसते गालियाँ देते है तो हमारे राष्ट्रीय नायकों को भी हम अपनी स्मृतियों में जगह तो दे ही सकते है ...