Monday, January 11, 2010
कोई हंसती थी अक्सर तुम्हे देखकर
भूल जायेगे सब हम तुम्हे देखकर
तुम भी रह न सकोगे बिन हमे देखकर
हमने चाहा बहुत अब भुला दे तुम्हे
सो भी पाए कभी न तुम्हे भूलकर
अब तो कोई भी चेहरा न अच्छा लगे
क्या हुआ है हमे ये तुम्हे देखकर
जिन राहो पे हम तुम चले थे कभी
राहें पूछे कहाँ है तेरा हमसफ़र
लोग कहते है क्या हो गया है तुम्हे
उदास चेहरे मे तन्हा हमे देखकर
हममे कुछ बातहै तुमको अच्छी लगी
वरना लौटे हो तुम क्यों कसम तोड़कर
ये यकीं है की रो भी सकोगे न तुम
किसी गैर का होता हमे देखकर
हम रहे न रहे याद रखना सनम
कोई हंसती थी अक्सर तुम्हे देखकर
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हिंदी ब्लाग लेखन के लिये स्वागत और बधाई । अन्य ब्लागों को भी पढ़ें और अपनी बहुमूल्य टिप्पणियां देने का कष्ट करें
ReplyDeleteBadhai ho...
ReplyDeleteCheck this cool link
http://jabhi.blogspot.com
jo progam ho jaye brain men use bhulayen kaise
ReplyDeleteइस नए ब्लॉग के साथ आपका हिन्दी ब्लॉग जगत में स्वागत है .. आपसे बहुत उम्मीद रहेगी हमें .. नियमित लेखन के लिए शुभकामनाएं !!
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