Monday, November 9, 2009

जब तुम साथ थे


हमने गुज़ारे जो दिन साथ थे
वो ज़िन्दगी के हसीन लम्हात थे
अजनबी रास्तो पर थी मंजिल खड़ी
क्यूकि हर मोड़ पर तुम मेरे साथ थे
तुम थे बेहद हसीं न था तुम सा कोई
तुम तो जानम थे दिलबर थे दिलशाद थे
दूर होकर भी तुमसे नहीं दूर थे
ज़हनो दिल में तेरे ही ख़यालात थे
कब कहाँ और कैसे मिलेंगे तुम्हे
दिल में शामो शहर ये सवालात थे
जुदा हम हुए और फ़िर न मिले
बेवफा हम नही अपने हालत थे
ज़िन्दगी दर्दो गम और आँखे है नम
हम खुश थे ये तेरी ही सौगात थे

2 comments:

  1. kabhi koi sath hota hai to shayad wo lamhe hume utne keemti nahiin jan padte par uski kami ka ahsaas hume un lamho ki keemat ka ahsaas kara deta hai

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  2. Na jane ye ankhen kyun udas rahti hain,
    jane inhen kiski talash rahti hai.
    ye jankar bhi ke wo kismat men nahin,
    unhen pane ki as men rahti hain.

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